Ross Island Andaman (Netaji Subhash Chandra Bose Island) – Full Travel Guide in Hindi

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Ross Island का इतिहास (History of Ross Island)

Ross Island Andaman (Netaji Subhash Chandra Bose Island) – Full Travel Guide in Hindi

दोस्तों आज हम एक ऐसे द्वीप की बात करने जा रहे हैं जहां 19वीं सदी में ब्रिटेन का शासन हुआ करता था और जो कभी Andaman and Nicobar Islands समूह की राजधानी हुआ करता था। जी हां हम बात कर रहे हैं Ross Island andaman की जो अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह के 572 द्वीपो में से एक है और यह द्वीप लगभग २०० एकड़ में फैला हुआ है जो की प्रशश्निक रुप से दक्षिण अण्डमान ज़िले के अंतर्गत आता है और पोर्ट ब्लेयर से 3 किमी पूर्व में स्थित है।

अगर इसके इतिहास की बात करे तो आपको बताना चाहूँगा की Sir James Ross ने 1840 में इस द्वीप की खोज की थी, और बाद में रॉबर्ट एफ. स्कॉट ने उनके सम्मान में इसका नाम Ross island रखा था। उस समय मे अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह का मुख्यालय रॉस द्वीप में था। अंग्रेज़ो ने Andaman and Nicobar Islands समूह मे 1858 से 1942 तक इस द्वीप पर राज किया था। अंग्रेज़ो के शासन काल में रॉस द्वीप में विकसित कोलोनिया बनाई गई जिसमे अंग्रेज अधिकारियों और उनके परिजनों के लिए रॉस आइलैंड में बेहद खूबसूरत इमारतें बनाई गईं थी। शानदार लॉन विकसित किए गए थे और बढ़िया फर्नीचर से बंगले आबाद किए ज्ञे थे साथ ही साथ उनके खेलने के लिए टेनिस कोर्ट भी बनाए गए। बाद में यहां एक चर्च और पानी साफ करने का प्लांट भी बनाया गया। इसके अलावा रॉस आइलैंड पर सेना के बैरक और एक अस्पताल भी बनाया गया। डीजल जेनरेटर वाला एक पावरहाउस भी यहां बनाया गया था ताकि यहां आबाद लोगों के लिए रौशनी का इंतजाम हो सके। इन सुविधाओं की वजह से Ross Island चारों तरफ बिखरे तबाही के मंजर के बीच चमकता सितारा बन गया था। इसलिए रॉस आइलैंड को उस समय ‘पूरब का पेरिस’ भी कहा जाता था।

Ross Island Andaman: वीरान खंडहरों और बेताब कहानियों का द्वीप।

Ross Island Andaman (Netaji Subhash Chandra Bose Island) – Full Travel Guide in Hindi

अब Ross Island Andaman एक खंडहरों और बेताब कहानियों का द्वीप बन गया है क्यूकी 1941 में आए भूकंप ने इसे बुरी तरह उजाड़ दिया। अब द्वीप के अनछुए खंडहर इसके काले और घिनौने इतिहास की गवाह बन चुके है। यहां के बाजार अब वीरान हो चुके है। यहां की इमारतों की नुकीली छतें ढह चुकी हैं। कांच की खिड़कियां चूर-चूर हो चुकी हैं। बिना छतों वाले बंगलों के खंडहरों के कंकाल उन बुजुर्गों की तरह लगते हैं, जो अपने गुजरे हुए अतीत की कहानी सुनाने को बेताब हैं, मगर कोई सुनने वाला नहीं। आज चर्च की दीवारें हों या कब्रिस्तान की चारदीवारी, क्लब का खंडहर या फिर प्रशासनिक इमारत की खिड़कियां, सब पर गूलर के बढ़ते दरख्तों का कब्जा हो गया है। अब Ross Island में मोर और हिरन ही बाशिंदे रह गए है हिरणों की संख्या लगभग 500 के करीब ओर मोर लगभग 120 के पास है। अब यहाँ कुछ अवशेष ही बचे हैं, लेकिन पर्यटकों की दिलचस्पी इस Ross Island मे अभी भी बनी हुई है यहॉं पर ‘स्मृतिका’ नामक छोटा संग्रहालय भी है, जिसमें इन द्वीपों से सम्बंधित फोटो ग्राफ और अंग्रेज़ों की अन्य दुर्लभ चीज़ें रखी गई हैं।

अंग्रेज़ो के शाशन के बाद Ross Island Andaman मे जापानियों ने कब्जा किया।

Ross Island Andaman (Netaji Subhash Chandra Bose Island) – Full Travel Guide in Hindi
Japani Banker

अंग्रेज़ो के शाशन काल मे Ross Island 1858-1941 तक अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह की राजधानी भी रहा, पर विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेज़ो को भरी नुकसान का सामना करना पढ़ा जिसके कारण उन्हे अंडमान छोड़ना पढ़ा और बाद मे जापानियों ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह मे पूरा कब्ज़ा कर लिया और जापानियों ने सन 1942 से 1945 तक राज किया परंतु इसे ग्रेट अंडमानीज की स्थली होने के कारण इसे ‘पीपुल ऑफ़ वारष् साइट’ में तब्दील कर दिया था इस द्वीप पर 1942 में जापानियों द्वारा कब्जा किए जाने तक द्वीपों में ब्रिटिश शासन का प्रशासनिक मुख्यालय भी था। द्वीप में मुख्य आयुक्त बंगला और अन्य संरचनाएं थीं जो दूसरे विश्व युद्ध के दौरान क्षतिग्रस्त हो गईं। द्वितीय विश्व युद्ध के समय के जापानी बंकर आज भी यहाँ देखने को मिलते हैं, जो उस दौर के संघर्ष और तनाव की याद दिलाते हैं। आपको बताना चाहूँगा की नेटजी सुभाष चंदर बोस भी सन 1943 में अंडमान आए जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता की लड़ाई मे जापानियों से मदद ली, और दिसंबर 1943 में एक दिन के लिए द्वीप पर रहे तथा भारत का तिरंगा झंडा आजादी से पहले फहराया था।ा

Ross Island का नाम बदल कर Netaji Subash Chandra Bose Island रखा गया

भारत ने स्वंत्रता के तत्पश्चात इस द्वीप पर कब्जा कर लिया परंतु उसके बाद इस द्वीप को ऐसी ही रहने दिया। काफी साल बाद INS JARAWA (Indian Naval ship) (भारतीय नौसेना) ने अप्रैल 1967 से 25/07/2022 तक इस द्वीप को प्रशासनिक नियंत्रण में रखा था। परंतु बाद में दिनांक 25/07/2022 के दिन अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह कमांड के कमांडर-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अजय सिंह ने प्रतीकात्मक रूप से द्वीप के प्रशासनिक नियंत्रण को डिप्टी आयुक्त दक्षिण अंडमान के सुनील अंचिपका को सौंप दिया था। इससे पहले वर्तमान के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह की यात्रा के दौरान दिनांक 30 दिसंबर 2018 को इस द्वीप का नाम Ross Island से बदलकर Netaji Subhash Chandra Bose Island रख दिया था।

Ross Island पर लाइट एंड साउंड शो

Ross Island पर हर शाम एक लाइट एंड साउंड शो का आयोजन किया जाता है, जो इस द्वीप के इतिहास और संस्कृति को जीवंत करता है। यह शो पर्यटकों को द्वीप के गौरवशाली और संघर्षपूर्ण इतिहास से रूबरू कराता है। इस लाइट अँड साउंड के शो की टिकट आप ऑनलाइन या फिर IPNT के कार्यालय से भी ले सकते है ।

Ross Island Andaman कैसे जाए?

Ross Island Andaman (Netaji Subhash Chandra Bose Island) – Full Travel Guide in Hindi

इतिहास में दिलचस्पी रखने वाले पर्यटकों के लिए रॉस आइलैंड बेहतरीन जगह है। इस द्वीप को सेल्यूलर जेल से भी देखा जा सकता है, जो काफी कम दूरी पर ही है। अब Ross Island andaman में ब्रिटिश वास्तुशिल्प के खंडहरों को देखा जा सकता है, यहाँ अभी भी चर्च और चीफ कमिश्नर के बंगले के अवशेष देखे जा सकते हैं। सुबह के समय रॉस आइलैंड पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग के समान है।

पर्यटकों को बता दें कि पोर्ट ब्लेयर से नियमित रूप से फेरी सेवाएं उपलब्ध हैं, जो पर्यटकों को रॉस आइलैंड तक पहुँचाती हैं। Ross Island पर जाने के लिए Directorate Of Information, Publicity and Tourism Office (IP&T) से टिकट ले सकते हैं। इस द्वीप तक वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स से नाव या नौका लेकर ही पहुंचा जा सकता है, जो आपको 15 से 20 मिनट में सीधे घाट तक पहुंचा देगा। यदि आप ऑनलाइन टिकट लेना चाहते है और लंबी लाइन में नही लगना चाहते है तो आप Andaman and Nicobar Tourism official website पर क्लिक करके आसानी से टिकट ले सकते है और अपने सफर का आनंद उठा सकते है। नाव की टिकट लगभग 150-500 रुपये तक होती है, परंतु आपको घाट से उतारने के बाद प्रवेश द्वार पर भी 30 रुपये की टिकट लेनी होगी। यदि आपके पास कैमरा है, तो लगभग 250 रुपये अतिरिक्त देने होंगे। Ross island जाने पर वापसी की टिकट जरूर ले लें क्योंकि वहां रुकने की व्यवस्था नहीं है और आपको शाम तक वापस आना होगा।

यदि आप सुबह जल्दी Ross Island घूमकर आ जाते हैं, तो scuba diving करने North Bay island
भी जा सकते हैं, जो कुछ ही दूरी पर है और जहां पानी से संबंधित गतिविधियाँ जैसे snorekelling, scuba diving आदि होती हैं। उसकी टिकट आप Ross Island andaman जाते समय ही ले सकते हैं। टिकट लेते समय अपना पहचान पत्र अवश्य रखें। यदि आप भारत से नहीं हैं, तो पासपोर्ट अवश्य साथ रखें। नाव पर बैठते समय लाइफ जैकेट जरूर पहनें। यदि आपको कभी अपनी पानी की बोतल को फिर से भरने की आवश्यकता हो तो घाट के पास एक आरओ जल शोधक है। Ross Island पर खाने के साथ-साथ कुछ छोटी दुकानें भी हैं, जहां आप समुद्री सीपियों से बनी माला और अन्य वस्तुएं खरीद सकते हैं।

Ross Island andaman की यात्रा न केवल आपको अतीत की सैर कराएगी, बल्कि प्राकृतिक सुंदरता और इतिहास की अनकही कहानियों से भी परिचित कराएगी। तो अपनी अगली यात्रा में Ross Island को जरूर शामिल करें और इस अनोखे स्थल का अनुभव लें।

पर्यटकों के लिए अंडमान जाने का सही समय?


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